बिहार

मनरेगा में काम मांगने वाले प्रत्येक जॉब कार्डधारी को मिल रहा काम

रांची

ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारत में बनाई गई विश्व की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना झारखंड में बहुत बेहतर स्थिति में है। मनरेगा में काम मांगने वालों को शत प्रतिशत काम मिल रहा है। इसी वजह से वित्तीय वर्ष 2022-23 में लक्ष्य नौ करोड़ से ज्यादा लगभग 9.25 करोड़ मानव दिवस का सृजन किया जा सका। हालांकि मनरेगा में काम के लिए लोग तभी आते हैं या काम मांगते हैं, जब बाजार में उन्हें काम नहीं मिल पाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि बाजार मूल्य की अपेक्षा मनरेगा में दैनिक पारिश्रमिक काफी कम है।

राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से कई बार इसे बढ़ाने का अनुरोध किया, लेकिन इसमें मामूली वृद्धि ही होती रही है। इसी वजह से तमाम प्रयासों के बावजूद एक परिवार को 100 दिनों का रोजगार देने के लिए विभाग की ओर से एड़ी-चोटी एक करने के बावजूद वित्तीय वर्ष 2022-23 में 100 दिनों का रोजगार जॉब कार्ड के अनुसार मात्र 02 फीसदी आैर सक्रिय परिवार के अनुसार 3.5 फीसदी परिवार मजदूरी करने आए। इस वित्तीय वर्ष में औसतन प्रति परिवार ने 44.32 दिन ही मनरेगा में काम किया।

खुले बाजार में 400 तो मनरेगा में मिलता है मात्र 255 रु.

मनरेगा के तहत काम करने वाले अकुशल हस्त कर्मकारों के लिए झारखंड में 228 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी मिलती है। यह दर एक अप्रैल 2023 से प्रभावी है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए मजदूरी दर 210 रुपए निर्धारित थी, जिसमें 18 रुपए की वृद्धि की गई। इसमें राज्य योजना मद से 27 रुपए मिलाकर झारखंड सरकार दे रही है। इससे झारखंड में मनरेगा श्रमिकों को कुल 255 रुपए मजदूरी मिल रही है। जबकि खुले बाजार में काम करने पर इन्हें 400 से 500 रुपए रोजाना मिलते हैं।

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