विदेश

3 दिन में 6 देश घूम आए ब्लिंकन, कोई क्यों नहीं मान रहा अमेरिका की बात?

नई दिल्ली

इजरायल-हमास जंग का आज 31वां दिन है। अमेरिकी अनुरोध के बावजूद इजरायल गाजा पट्टी पर हमले कम नहीं कर रहा है, जबकि मिडिल-ईस्ट के अरब देशों समेत दुनियाभर के कई देशों ने अमेरिका पर गाजा में हवाई और जमीनी हमले कम करने के लिए इजरायल पर दबान बनाने का दबाव बना रहे हैं। सभी को मिडिल ईस्ट में क्षेत्रीय तनाव और गहराने के आसार हैं क्योंकि इजरायली प्रधानमंत्री ने सीजफायर करने से इनकार कर दिया है।

बढ़ते क्षेत्रीय तनाव और अरब देशों के दबाव में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को आगे किया है, ताकि वह अरब वर्ल्ड के मु्स्लिम नेताओं समेत इजरायल और फिलिस्तीनी पक्ष से भी बातचीत करें और स्थिति को और गंभीर होने से रोकें। इस कड़ी में एंटनी ब्लिंकन पिछले तीन दिनों के अंदर तूफानी कार्यक्रमों के बीच तुर्की, इराक, इजरायल, वेस्ट बैंक, जॉर्डन और साइप्रस का दौरा कर चुके हैं और वहां के समकक्षों से बातचीत कर चुके हैं लेकिन कोई लाभ होता नजर नहीं आ रहा है।

ब्लिंकन की चुनौती क्या
ब्लिंकन के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती बीच-बीच का रास्ता तलाशने की है और यह सभी पक्षों के सहमत हुए बिना संभव नहीं है। शुक्रवार को जब ब्लिंकन ने इजरायली मंत्री से मुलाकात की और गाजा में मदद पहुंचाने और बंधकों की रिहाई होने तक युद्ध रोकने की गुजारिश की तो इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उसे सिरे से खारिज कर दिया और दो टूक कहा कि जब तक बंधकों की रिहाई नहीं होती, तब तक युद्धविराम का ख्याल बेमानी है।

नेतन्याहू ने कहा, “बंधकों की वापसी के बिना कोई युद्धविराम नहीं होगा। इसे शब्दकोष से पूरी तरह हटा देना चाहिए। यह बात हम अपने मित्रों से भी कहते हैं और शत्रुओं से भी। हम हमले तब तक जारी रखेंगे जब तक हम उन्हें हरा नहीं देते। हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।"

अरब देशों के किन-किन नेताओं से मुलाकात
अगले दिन जब ब्लिंकन जॉर्डन की राजधानी अम्मान पहुंचे, जहां जॉर्डन के विदेश मंत्री अलावा मिस्र, कतर, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के शीर्ष राजनयिकों के साथ-साथ फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) के महासचिव भी बैठक में शामिल हुए। वहां अरब नेताओं ने गाजा में तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया, लेकिन ब्लिंकन ने यह कहते हुए उसका विरोध किया कि गाजा पट्टी में युद्ध विराम से हमास को फिर से संगठित होने और इजरायल पर एक और हमला शुरू करने का समय मिल जाएगा।

जॉर्डन के विदेश मंत्री की खरी-खरी
इससे पहले जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान सफ़ादी और मिस्र के विदेश मंत्री समेह हसन शौकरी ने अमेरिका के उस तर्क को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि इजरायल को आत्मरक्षा का अधिकार है। सफ़ादी ने कहा, "हम यह स्वीकार नहीं करते कि यह आत्मरक्षा है। इसे किसी भी बहाने से उचित नहीं ठहराया जा सकता और इससे ना तो इज़रायल को सुरक्षा मिलेगी और ना ही क्षेत्र में शांति नहीं आएगी।" अयमान सफ़ादी का साफ तौर पर कहना था कि इसरायल युद्ध अपराध कर रहा है।

सोमवार को तुर्की जा रहे ब्लिंकन
सोमवार को ब्लिंकन तुर्की के दौरे पर जाने वाले हैं। तुर्की इजरायल पर सख्त रुख अपनाए हुए है। ब्लिंकन इस दिशा में नरमी का रुख अपनाने का संदेश लिए वहां जा रहे हैं लेकिन इस बात की संभावना कम ही है कि तुर्की भी अपने नजरिए में तब्दीली ला सकेगा। दरअसल, सभी अरब देशों का मानना है कि इजरायल के पीछे अमेरिका का समर्थन और सहयोग होने की वजह से ही इजरायल गाजा पर किसी की नहीं सुन रहा और यूएन तक को दरकिनार कर रहा है।

एक तरफ बातचीत, दूसरी तरफ शह
इधर, अमेरिका एक तरफ इजरायल से अनुरोध कर रहा है कि मानवीय संकट से उबरने और बंधकों की रिहाई तक गाजा में युद्धविराम करे और दूसरी तरफ स्वेज नहर में गाइडेड मिसाइल से लैस परमाणु पनडुब्बी की तैनाती कर रहा है। अमेरिका का तर्क है कि क्षेत्रीय तनाव को कम करने की दिशा में  उसने यह कदम उठाया है लेकिन यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अरब देशों द्वारा हमले की स्थिति में अमेरिका ने स्वेज नहर और फारस की खाड़ी में तैनात सैन्य बेड़े से इजरायल के लिए सुरक्षा कवच तैयार कर रखा है।

 

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