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कैसे बुलाए जाते हैं संसद के विशेष सत्र, किसके पास शक्ति; क्या कहता है संविधान

 नई दिल्ली

 केंद्र सरकार के ताजा कदम ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज कर दी है। 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसके दौरान करीब 5 बैठकों की संभावनाएं हैं। अब शीतकालीन सत्र से कुछ समय पहले ही सितंबर में सत्र बुलाने को लेकर अलग-अलग तरह की अटकलों का दौर जारी है। सवाल एक यह भी है कि आखिर इस तरह सत्र कैसे बुलाए जाते हैं और प्रक्रिया क्या है।

संसदीय कार्य मंत्री जोशी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर अपने पोस्ट में कहा, 'संसद का विशेष सत्र  (17वीं लोकसभा का 13वां सत्र और राज्यसभा का 261वां सत्र) 18 से 22 सितंबर को बुलाया गया है।' जोशी ने कहा कि संसद के इस विशेष सत्र में पांच बैठकें होंगी। उन्होंने पोस्ट के साथ ही संसद की तस्वीर भी साझा की है।

पहले समझें संसद का स्वरूप
राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा से मिलकर संसद बनती है। हालांकि, दोनों सदनों की दैनिक कार्यवाही का राष्ट्रपति हिस्सा नहीं बनती हैं, लेकिन उनके पास सदनों को बुलाने और स्थगित करने का अधिकार होता है।

क्या है प्रक्रिया
संसद का सत्र बुलाने की शक्ति सरकार के पास होती है। इसका फैसला संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति करती है, जिसे राष्ट्रपति औपचारिक रूप देते हैं। वह सांसदों को विशेष सत्र के लिए बुलाते हैं। फिलहाल, भारत में संसद के तीन पारंपरिक सत्र होते हैं। इनमें बजट सत्र, मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र होते हैं।

संविधान में क्या?
संविधान में कहा गया है कि अनुच्छेद 85 के तहत साल में कम से कम दो बार संसद की बैठक होनी चाहिए। साथ ही दोनों बैठकों के बीच 6 महीनों से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए।

एजेंडा क्या?
फिलहाल, सरकार ने ताजा सत्र बुलाने को लेकर एजेंडा साफ नहीं किया है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार एक देश एक चुनाव, महिला आरक्षण, समान नागरिक संहिता यानी UCC को लेकर बड़े कदम उठा सकती है। इधर, सरकार के ऐलान को विपक्ष के लिए भी बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है।

 

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