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स्मॉल सेविंग स्कीम में 115 महीने में पैसा डबल, पोस्ट ऑफिस की ये बेहतरीन FD योजना

नईदिल्ली

पोस्ट ऑफिस (Post Office) कई तरह की स्मॉल सेविंग स्कीम (Saving Scheme) चलाता है. इनमें से कई स्कीमें लोगों के बीच काफी पॉपुलर हैं. ऐसी ही एक स्कीम है किसान विकास पत्र (Kisan Vikas Patra). अगर आप इन दिनों निवेश का प्लान बना रहे हैं, तो किसान विकास पत्र को विकल्प के रूप में चुन सकते हैं. पोस्ट ऑफिस की ये स्कीम पहले की तुलना अब और फायदेमंद हो गई है, क्योंकि इन्वेस्ट की गई रकम 120 महीने की बजाय अब 115 महीने में ही डबल हो जाती है.

सरकार इस स्कीम में निवेश की राशि पर सात फीसदी से अधिक का ब्याज ऑफर कर रही है. पोस्ट ऑफिस की स्कीम्स में निवेश करना सुरक्षित माना जाता है. इसलिए बड़ी संख्या में लोगों ने निवेश किया है.

कैसे होती है ब्याज की गणना?

किसान विकास पत्र में निवेश की राशि 115 महीने में डबल हो जाएगी. जनवरी 2023 में सरकार ने किसान विकास पत्र की मैच्योरिटी की अवधि 123 महीने से घटाकर 120 महीने की थी. अब इसे और घटाकर 115 महीने कर दिया गया है. पोस्ट ऑफिस की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, किसान विकास पत्र में निवेश की राशि पर ब्याज की गणना कम्पाउंडिंग आधार पर होता है. इस स्कीम में निवेश की राशि पर ब्याज की गणना कम्पाउंडिंग आधार पर होता है.

कितना मिल रहा ब्याज

किसान विकास पत्र में निवेश की राशि पर सरकार 7.5 फीसदी की दर से सालाना ब्याज ऑफर कर रही है. इस स्कीम में आप 1000 रुपये से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. इसके बाद 100 रुपये के मल्टीपल में निवेश किया जा सकता है. इस स्कीम में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है. इस स्कीम में आप ज्वॉइंट अकाउंट खोलकर भी निवेश कर सकते हैं. साथ नॉमिनी की सुविधा भी किसान विकास पत्र में उपलब्ध है.

कैसे खुलता है अकाउंट?

किसान विकास पत्र योजना में 10 साल से कम उम्र के नाबालिग का अकाउंट भी खुल सकता है. हालांकि, उनकी तरफ से कोई वयस्क खाता खोल सकता है और जैसे ही नाबालिग की उम्र 10 साल की हो जाती है, अकाउंट उसके नाम पर ट्रांसफर कर दिया जाता है. इस स्कीम के लिए अकाउंट खुलवाना बेहद आसान है. इसके लिए पोस्ट ऑफिस में जमा रसीद के साथ आवेदन भरना होगा और फिर निवेश की रकम नगद, चेक या डिमांड ड्राफ्ट से जमा करनी होगी.  आपको आवेदन के साथ अपना पहचान पत्र भी जोड़ना होगा.

किसान विकास पत्र एक स्मॉल सेविंग स्कीम है. हर तीन महीने पर सरकार इसकी ब्याज दर की समीक्षा करती है और आवश्यकता अनुसार बदलाव करती है.

 

 

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