उत्तर प्रदेश

यूपी की फैजाबाद लोकसभा सीट से भाजपा की हार के अब तक के चर्चे हैं, मुझे डर था कि यही एजेंडा होगा: शरद पवार

फैजाबाद
यूपी की फैजाबाद लोकसभा सीट से भाजपा की हार के अब तक के चर्चे हैं। इसकी वजह यह है कि इसी लोकसभा सीट के तहत अयोध्या भी आता है, जहां राम मंदिर बना है। राम मंदिर का जिक्र भाजपा के नेता लगातार अपने भाषणों में कर रहे थे और उसकी चर्चा थी। ऐसे में अयोध्या की हार ने भाजपा समेत सभी को हैरान किया है। अब एनसीपी के नेता शरद पवार ने भी इस पर टिप्पणी की है और इस नतीजे को अयोध्या के वोटरों की समझदारी करार दिया है। उन्होंने कहा कि अयोध्या के लोगों ने भाजपा के उम्मीदवार को हराकर दिखाया है कि 'मंदिर की राजनीति' को कैसे ठीक किया जाए।

पवार ने बारामती में एक मीटिंग में कहा कि भाजपा ने पांच साल पहले 300 से अधिक सीट हासिल की थी, लेकिन इस बार उसकी सीट संख्या घटकर 240 रह गई जो बहुमत से काफी कम है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लग रहा था कि राम मंदिर चुनावी एजेंडा होगा और सत्तारूढ़ दल को वोट मिलेंगे, लेकिन हमारे देश के लोग काफी समझदार हैं।’ पवार ने कहा कि जब लोगों को एहसास हुआ कि मंदिर के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं तो उन्होंने अलग रुख अपनाने का फैसला किया और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।

बता दें कि फैजाबाद संसदीय क्षेत्र में एक बड़े उलटफेर में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने भाजपा सांसद रहे लल्लू सिंह को 54,567 मतों के अंतर से हराया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'हम वोट मांगने के लिए मंदिर को चुनावी एजेंडे के रूप में इस्तेमाल किए जाने से डरे हुए थे, लेकिन अयोध्या के लोगों ने (भाजपा उम्मीदवार को हराकर) दिखाया कि 'मंदिर की राजनीति' को कैसे ठीक किया जाए।' वहीं उन्होंने उम्मीद जताई कि नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल स्थिर रहेगा और उनकी सरकार पूरे 5 साल चलेगी।

मोदी सरकार के स्थिर रहने का जताया भरोसा, बोले- मतभेद अपनी जगह
पवार ने कहा कि मैंने चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई उनकी आलोचना को तवज्जो नहीं दी और उनका ध्यान उचित मदद के साथ क्षेत्र में व्यापार एवं अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर होगा। पवार ने कहा, 'राजनीति में मतभेद होते हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था ठोस होनी चाहिए। एक मजबूत अर्थव्यवस्था व्यापार और व्यवसाय को बढ़ावा देती है तथा आज हम सभी यही उम्मीद करते हैं। मुझे उम्मीद है कि सरकार स्थिर रहेगी और वह देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कदम उठाएगी।'

 

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