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संजय सिंह का बड़ा खुलासा: ‘कांग्रेस’ नहीं होती तो ‘आप’ पार्टी भी नहीं बनती!

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नई दिल्ली
साल 2011 में लोकपाल जनआंदोलन हुआ। आंदोलन से निकलकर आम आदमी पार्टी का गठन हुआ। आंदोलन का केंद्रीय चेहरा रहे अन्ना हजारे नई गठित पार्टी से ओझल हो गए। सांसद संजय सिंह ने पार्टी के गठन से जुड़ी बातचीत के दौरान आप के राजनीतिक दल बनने की एक वजह कांग्रेस को भी बताया। उन्होंने अन्ना हजारे द्वारा पार्टी न ज्वाइन करने और इसे एक राजनीतिक दल न बनाने की सलाह पर भी अपनी बात रखी। जानिए संजय सिंह के मुताबिक कांग्रेस की किस खामी के कारण आप का गठन हुआ?

संजय सिंह ने आप के गठन की क्या वजह बताई?
संजय सिंह ने पार्टी के गठन से जुड़ी कहानी को बताते हुए कहा- “पार्टी का गठन करना उस वक्त की जरूरत हो गई थी। अगर उस समय की कांग्रेस सरकार लोकपाल कानून पास कर देती तो शायद ये जरूरत ही नहीं पड़ती। और फिर कोई बहाना भी नहीं था कि आप इंडिया अगेंस्ट करप्शन को किसी राजनीतिक पार्टी में तब्दील कर दें।”

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कांग्रेस ने मिस हैंडल किया, इसलिए आप बनी राजनीतिक पार्टी
भारत समाचार से बातचीत के दौरान संजय सिंह ने कहा- “अगर उस समय की कांग्रेस सरकार इस आंदोलन को ठीक से हैंडल करती तो शायद हम लोगों को राजनीतिक पार्टी बनाने की जरूरत नहीं पड़ती। लोकपाल कानून पास कर देते तो सब लोग अपने-अपने काम में लग जाते। कोई संस्था चला रहा था, कोई कुछ और काम कर रहा था।” आगे बातचीत के दौरान कहा- "कांग्रेस ने मिस हैंडल किया। उन्होंने वादा करके बिल पास नहीं किया। इसी कारण आम आदमी पार्टी एक राजनीतिक पार्टी बनी"।

अन्ना द्वारा आप न ज्वाइन करने पर संजय सिंह
अन्ना हजारे द्वारा आम आदमी पार्टी में शामिल न होने वाले सवाल पर संजय सिंह ने बताया- "डेमोक्रेसी के अंदर हर व्यक्ति का निर्णय लेने का तरीका होता है, जिसका सम्मान करना चाहिए। अन्ना जी ने जो फैसला लिया उसका हम सम्मान करते हैं।"

लोग अन्ना जी को ही प्रधानमंत्री बनाते
अन्ना हजारे पर बोलते हुए कहा, “अगर अन्ना जी ने शायद उस समय चुनावी राजनीति में आने का निर्णय लिया होता, तो परिणाम कुछ और होते। जिस तरह से लोगों का उनके प्रति उल्लास, उत्साह और जुनून था; हो सकता है लोग अन्ना जी को ही प्रधानमंत्री बना देते।” संजय सिंह ने ये भी दावा किया- “मुझे लगता है कि उनसे राजनीतिक पार्टी बनाने की सहमति पहले ली गई थी, लेकिन बाद में उन्होंने जो भी निर्णय लिया, हम उसका सम्मान करते हैं।”

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