Home छत्तीसगढ़ बच्चा मोबाइल की लत से परेशान? AIIMS ने सुझाया यह असरदार तरीका

बच्चा मोबाइल की लत से परेशान? AIIMS ने सुझाया यह असरदार तरीका

27
0
Jeevan Ayurveda

रायपुर

मोबाइल एडिक्शन के कारण हिंसक और असंतुलित व्यवहार करने वाले बच्चे अब धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। एम्स के मनोरोग विभाग में 5 से 6 सेशन थैरेपी और दवा के साथ पैरेंट्स के सहयोग से बच्चों में सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा है। इससे न केवल माता-पिता को राहत मिली है, बल्कि स्कूल में सहपाठियों और शिक्षकों के बीच भी माहौल सुधरा है।

Ad

एम्स मनोरोग विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 100 मरीजों का इलाज किया जाता है। इनमें से 8 से 10 बच्चे मोबाइल एडिक्शन, एंजाइटी और ऑटिज्म से संबंधित होते हैं। मोबाइल एडिक्शन के दौरान बच्चे सहपाठियों से मारपीट, गाली-गलौज और अन्य हिंसक व्यवहार करने लगते थे। विशेषज्ञों के अनुसार, केवल दवा ही पर्याप्त नहीं है। परिवार के सपोर्टिव व्यवहार और समय पर निगरानी से बच्चे बेहतर तरीके से ठीक हो पाते हैं। परिवारिक सहयोग के बिना दवा केवल शांत रखती है, लेकिन व्यवहार में सुधार नहीं ला पाती।

इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स ने कोरोनाकाल से पहले गाइडलाइन जारी की थी कि बच्चों की उम्र के अनुसार मोबाइल फोन उपयोग की सीमा तय करनी चाहिए। मनोरोग विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूल बदलने के बाद भी बच्चों का व्यवहार बदल सकता है। प्राइमरी क्लास के बच्चों को सीमित समय के लिए मोबाइल दिया जाता है, जबकि मिडिल और हाई स्कूल में उनके पास अधिक स्वतंत्रता होती है। इस प्रकार, मोबाइल एडिक्शन से प्रभावित बच्चों का सही इलाज, थैरेपी और परिवारिक सहयोग से व्यवहार में सुधार हो रहा है और वे सामान्य जीवन की ओर लौट रहे हैं।

Jeevan Ayurveda Clinic

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here